जो छुपाई ना जा सके,जो भुलाई ना जा सके
कुछ ऐसी मोहब्बत करना चाहता हूँ मैं
रोज तेरे कुचे मे बेखौफ़ सा चला आता हूँ मैं
ना बेआबरू होने का जिक्र है,ना रुसवाई की फ़िक्र है
बस तेरे ख़्वाबों का पासबान बने रहना चाहता हूँ मै,
कुछ ऐसी मोहब्बत करना चाहता हूँ मैं ।
जो रूठ जाओ कभी तो अपनी कहानियों से मनाना चाहता हूँ मैं
ये इश्क़ की आग तेरे सीने में भी लगाना चाहता हूँ मैं
जो देखे है जमाना तुझे इन कमज़र्व नजरों से
ऐसे जमाने को भी खाक मे मिलाना चाहता हूँ मैं
कुछ ऐसी मोहब्बत करना चाहता हूँ मैं ।
तेरी माथे की सलवटों को चूमकर मिटाना चाहता हूँ मैं
ये जो गम है तेरे उन्हें अपना बनाना चाहता हूँ मैं
जो तू चाहे सितारे दामन मे अपने
तेरे लिये सितारे क्या,आसमान को भी जमी पे झुकाना चाहता हूँ मैं
कुछ ऐसी मोहब्बत करना चाहता हूँ मैं ।
तेरी ख्वाबीदा आंखों मे अपने ख़्वाब सजाना चाहता हूँ मै
काली रात सी उलझी जुल्फ़े यूँ ही सुलझाना चाहता हूँ मैं
जो समझे इस इश्क़ को गुनाह तू, ले सरेआम तेरा गुनहगार बनना चाहता हूँ मैं
कुछ ऐसी मोहब्बत करना चाहता हूँ मैं ।
तेरे हर हर्फ को अपनी जुबां देना चाहता हूँ मैं
तेरे इस नाम को नई पहचान देना चाहता हूँ मैं
डरती है किस बदनामी से तू,तेरे लिये तो ताउम्र बदनाम रहना चाहता हूँ मैं,
कुछ ऐसी मोहब्बत करना चाहता हूँ मैं ।।
Superb writing shubham
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Thanks Gayatri ji…
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Visit my blog too
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Sure🙂
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जो छुपाई ना जा सके,जो भुलाई ना जा सके
कुछ ऐसी मोहब्बत करना चाहता हूँ मैं..
ला जवाब इश्क़♥️🙂
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जो रूठ जाओ कभी तो अपनी कहानियों से मनाना चाहता हूँ मैं
ये इश्क़ की आग तेरे सीने में भी लगाना चाहता हूँ मैं
लाजवाब लेखनी।
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धन्यवाद
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स्वागतम
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nice
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