जो बेखयाली में डूबता हूं मैं जब माल फूकता हूं मैं
जो धुएं में फिक्र उड़ाए खुद को ढूंढता हूं मैं
सुईंया बदन में चुभाए आसमान चूमता हूं मैं
पाउडर की लाइनों में बेबाक घूमता हूं मैं
मनमर्जियों सा जिया हूं दिल अब भी बच्चा है
धड़कनें तेज चलती है मेरी पर बाकी सब अच्छा है
आंखें लाल है मेरी होंठ काले पड़ गए
सिगरेट हाथ में लिए पाप सारे तर गए
घूमता है सर मेरा आंसू सारे मर गए
चिलम होठों से लगाए गम भी सारे जल गए
खुशनुमा सा रहता हूं आंखों का हर ख्वाब लगता सच्चा है
आंखें जलती है मेरी पर बाकी सब अच्छा है
परिवार का भी साथ नहीं है मां लक्ष्मी का भी हाथ नहीं है
पर डर जाऊं ऐसे हालातों से ऐसे मेरे जज्बात नहीं है
जमकर नाचा था मैं जिन दोस्तों की शादी पर
हंसते हैं वह सभी मेरे इस बर्बादी पर
रास्ता बर्बादी का सही पर इस रास्ते का ही चर्चा है
पैर कांपते है मेरे पर बाकी सब अच्छा है
कभी दफ्तर जाता था मैं घर पर सब को हंसाता था मैं
लिखता रहता था दिनभर कुछ कभी गीत गुनगुनाता था मैं
अब चुपचाप सा रहता हूं गीत पुराने हो गए
इस धुएँ ने जो दिया वह अब मेरे अफसाने हो गए
आमदनी तो है नहीं पर इस शौक में भी खर्चा है
ख़ून टपकता है मुंह से पर बाकी सब अच्छा है
सांसे काबू में नहीं अब,ना एक शब्द बोलता हूं मैं
अपने हाथों से जिंदगी में जहर घोलता हूं मैं
तिनके सा मैं सूख गया हूं अब अंदर से टूट गया हूं
मां कहती है गलती है तेरी पर मैं तो रब से रूठ गया हूं
बस यही कहानी है मेरी लेकिन क्या फर्क पड़ता है
मौत का इंतजार है बस पर बाकी सब अच्छा है
Oh ,so much sad feelings.why?
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Thanks for liking mam.. its just a poetry I have written for an anti drug campaign..
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Wonderful effort and admirable.
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